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तुम्हारी यादें

 आज फिर तुम्हारी याद अचानक से मेरे जहन में कौंध गई, जैसे कोई बहार आई, और फिर उसी तरह से गुज़र गई। अनजाने में हम अपनी मुश्किलों को सुलझाते हैं, तुम्हारी याद आते ही हमारी जिंदगी फिर से उलझ जाती है। ये दिल के अल्फाज़ हैं, जो तुम्हें समझ नहीं पाते, मगर ये सच है कि तुम्हारी याद हमेशा हमारे साथ होती है।मुझे याद आया वो गुजरा हुआ कल जब हम साथ थे, तुम्हारी हंसी, तुम्हारी बातें, तुम्हारी अदायें, क्या था वो दिन जब हम खुश थे और सारी दुनिया भूल गए थे। जब तुम्हारे साथ था, जिंदगी कुछ और थी, हर पल खुशी का एहसास होता था, मगर अब जब तुम्हारी यादें आती हैं, दिल में उदासी का एहसास होता है। जानते हो, तुम्हारी यादें मेरे लिए कितनी अहमियत रखती हैं,तुम्हें याद करके मेरे दिल को सुकून मिलता है, और जब तुम याद नहीं आते हो, तब मुझे तनहा महसूस होता है। फिर भी मैं ये उम्मीद नहीं खोता,कि कभी ना कभी फिर से हम दोनों एक साथ होंगे, और फिर से हमारी ये यादें बहार लाएंगी,

Love And Breakup

 The separation between two people is not the result of a single day's decision, but rather the accumulation of many choices and circumstances. As I sit here, staring out at the vast expanse of the ocean, I can't help but think about the distance between us. It's been weeks since we last spoke, and the emptiness inside me grows with each passing day. It wasn't always like this. We used to be inseparable, bound together by a deep love that seemed unbreakable. But as time went on, our paths began to diverge, and the things that once brought us together started to push us apart. I can't pinpoint the exact moment when things began to change. Perhaps it was the arguments that we couldn't resolve, or the missed opportunities that we couldn't get back. Maybe it was the choices we made that seemed right at the time but ultimately led us down different roads. Whatever the cause, the result is undeniable. The distance between us is more than just physical. It's a
 मन के सारे किरदार वक्त के साथ एक-एक कर मरते जाते है,फिर बच जाते है हम यूँ रात के इस पहर में उदास और एकांत...!

जिदंगी के अनमोल लम्हे

 इस चांदनी रात में मैं बैठा हुआ अपनी जिंदगी का हिसाब लगा रहा हु, विचारों के समंदर में खोया हुआ। उन लम्हों को याद करते हुए, जिन्हें बीते वक्त ने मुझसे छीन लिया। अपनी गलतियों और अधूरी ख्वाहिशों की वजह से जो अब मैं अकेले हूँ। कभी सोचा नहीं था कि जिंदगी इतनी तेज़ी से बीत जाएगी। अपने सपनों की चापेमारी में, मैं भूल गया था कि समय कितना बेदर्दी से गुजरता जा रहा है। लेकिन यह नहीं कि मेरी जिंदगी में कुछ अच्छे पल नहीं थे। कुछ रिश्ते थे जिन्हें मैं दिल से चाहता हूँ, कुछ मोमेंट्स जो मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत अनुभव थे। यह सोचते हुए, मैं जानता हूँ कि जिंदगी अभी भी बहुत कुछ देने के लिए तैयार है। यह रात अभी जवान है, और जब तक मैं जिंदा हूँ, मैं अपने सपनों को पूरा करने के लिए कोशिश करता रहूँगा। यही है मेरी आस, मेरी उम्मीद। By - सतेंद्र राजपूत

मुश्किल सफ़र

 इस जीवन की आपाधापी में हम सभी कुछ न कुछ कष्ट और पीड़ा से गुजरते हैं। हम सभी जीवन की मुश्किलों और चुनौतियों से गुजरते हुए बड़े होते हैं। जीवन के रास्ते पर हमें कभी-कभी दुख, असफलता, और निराशा का सामना करना पड़ता है। हमारे साथ बुरे वक्त में हमारे साथ दोस्तों और परिवार के साथियों का साथ हमेशा रहता है। हालांकि, हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारी जिंदगी केवल एक अवसर है। हमें इसे अपनी पसंद के अनुसार जीना चाहिए और हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए। हमें अपने दुखों को सामने लेकर अपने अंदर से उत्साह को कभी खोने नहीं देना चाहिए। जीवन में हमें कई अवसर मिलते हैं। हमें इन अवसरों का फायदा उठाना चाहिए और अपने लक्ष्यों की ओर एक कदम आगे बढ़ना चाहिए। हमेशा धैर्य रखें और कुछ करने की उत्सुकता से सभी चुनौतियों का सामना करें। अपने अधिकारों को जानना और अपनी जिंदगी को अपनी मर्जी के अनुसार जीने के लिए।।  👉 सतेंद्र राजपूत 

जीवन कैसे बदलता है...

एक शहर एक घर एक सड़क एक रेस्तराँ और वो एक कॉफ़ी , कब आपको काटने के लिये दौड़ जाये , अंदाज़ा लगाना मुश्किल है । कभी कभी लगता है एक पक्ष के भाव को इतना ठोस नहीं होना चाहिये की बाद में वो फिर द्रव्य का आकार ले ले और अंत उसका गैस में परिवर्तित होकर हो । मृत्यु और विरह के बाद आदमी इस बात से ख़ुद को ढाँढस बाँध लेता है की वापसी के प्रयास किये गये लेकिन वापस नहीं लाया जा सका लेकिन इन सबके बाद भी सबसे ज़्यादा कुछ दुःखदायी है तो वो है किसी का अकास्मिक विरह हो जाना , बात होते होते अचानक से संवाद का टूट जाना , फिर चूर चूर हो जाना और फिर ऐसा कुछ हो जाना जैसे कुछ था ही नहीं । बिलकुल सुन्ना..... कभी कभी सोचता हूँ की ये सब जो हुआ इस एक दो साल में ये कितना भयावह है , ना जाने कितने झूठ बोले गये , कितने वादे किये गये और अंत में सबकुछ शून्य या उससे भी कम पर जाकर ख़त्म । वो समय जिसमें में सबसे ज़्यादा ख़ुश था , नाचता था , फ़्लॉंट करता था , वो समय बीत तो गया है लेकिन उसको रोज़ अभी काटता हूँ ताकि कट के ख़त्म हो जाये लेकिन ऐसा हुआ नहीं और न होगा । मैं ये नहीं मानता की मैं दुखी हूँ या परेशान हूँ , म