जिदंगी के अनमोल लम्हे

 इस चांदनी रात में मैं बैठा हुआ अपनी जिंदगी का हिसाब लगा रहा हु, विचारों के समंदर में खोया हुआ। उन लम्हों को याद करते हुए, जिन्हें बीते वक्त ने मुझसे छीन लिया। अपनी गलतियों और अधूरी ख्वाहिशों की वजह से जो अब मैं अकेले हूँ।


कभी सोचा नहीं था कि जिंदगी इतनी तेज़ी से बीत जाएगी। अपने सपनों की चापेमारी में, मैं भूल गया था कि समय कितना बेदर्दी से गुजरता जा रहा है। लेकिन यह नहीं कि मेरी जिंदगी में कुछ अच्छे पल नहीं थे। कुछ रिश्ते थे जिन्हें मैं दिल से चाहता हूँ, कुछ मोमेंट्स जो मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत अनुभव थे।


यह सोचते हुए, मैं जानता हूँ कि जिंदगी अभी भी बहुत कुछ देने के लिए तैयार है। यह रात अभी जवान है, और जब तक मैं जिंदा हूँ, मैं अपने सपनों को पूरा करने के लिए कोशिश करता रहूँगा। यही है मेरी आस, मेरी उम्मीद।


By - सतेंद्र राजपूत

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